Breaking News: Death of Shibu Soren शिबू सोरेन नहीं रहे: झारखंड की आत्मा को अलविदा

झारखंड की राजनीति का एक मजबूत स्तंभ ;

एक सच्चा जननायक, और लाखों आदिवासी लोगों की उम्मीद — शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे।

4 अगस्त 2025, दिल्ली के अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली। 81 साल के उम्र में ये सफर थमा, लेकिन पीछे रह गया उनका संघर्ष, उनकी विरासत और उनकी पहचान — दिशोम गुरु के रूप में

एक संघर्षशील जीवन की कहानी

शिबू सोरेन का जीवन किसी किताब की तरह है — सीधा, सच्चा और संघर्ष से भरा। उन्होंने झारखंड के लोगों की आवाज को संसद तक पहुँचाया, लेकिन कभी सत्ता की चकाचौंध उन्हें छू नहीं सकी।

  • वे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक रहे।
  • तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने।
  • आठ बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सांसद रहे।
  • उन्होंने गरीब, मजदूर, और खासकर आदिवासी समाज के अधिकारों के लिए आजीवन लड़ाई लड़ी।

👨‍👦 एक बेटे की भावनाएं: “मैं अब कुछ नहीं रहा…”

उनके बेटे और मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने दिल की बात सार्वजनिक रूप से कही:

“गुरुजी नहीं रहे… मैं अब कुछ नहीं रहा।”

ये सिर्फ शब्द नहीं थे, ये एक बेटे का टूटा हुआ दिल था जिसने अपना सब कुछ खो दिया।


उनका जाना सिर्फ एक मौत नहीं, एक युग का अंत है

झारखंड में हर गांव, हर नदी, हर पहाड़ी जानती है कि शिबू सोरेन कौन थे। उनका जीवन, आदिवासी पहचान का प्रतीक बन चुका था। वे सिर्फ नेता नहीं थे, वे जनता की आवाज थे।


राजकीय सम्मान और भावभीनी विदाई

  • झारखंड में 3 दिन का राजकीय शोक घोषित हुआ है।
  • झारखंड विधानसभा की कार्यवाही रोक दी गई है।
  • देश के प्रधानमंत्री और सभी बड़े नेताओं ने श्रद्धांजलि दी है।
  • आज उनका पार्थिव शरीर रांची लाया जाएगा और कल रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में अंतिम संस्कार होगा।

निष्कर्ष: केवल नाम नहीं, एक पहचान थे ‘शिबू सोरेन’

शिबू सोरेन का जाना एक व्यक्तिगत नुकसान नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक क्षति है।
वो हर उस शख्स के लिए प्रेरणा हैं जो मिट्टी से उठकर समाज को दिशा देना चाहता है।

By sky

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